कोरोना मरीजों का इलाज करने वाले हेल्थ वर्कर्स पर होगा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन का परीक्षण
सेहतराग टीम
कोरोना वायरस के मामले काफी तेजी से बढ़ रहे है। इसको लेकर देश में अस्पतालों में काफी सुविधाएं की गई है। वहीं अस्पताल में भर्ती कोरोना रोगियों की देखभाल करने वाले हेल्थ कर्मचारियों को ज्यादा खतरा है। इसको लेकर डब्ल्यूएचओ का मानना है कि दुनिया में कोरोना वायरस से जितने लोग संक्रमित हुए है उनमें से दस प्रतिशत लोग स्वास्थ्य कर्माचारी हैंं। वहीं अकेले दिल्ली में, 2000 से अधिक स्वास्थ्य कर्मचारियों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है।
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अस्पतालों में काम करने वालों डॉक्टर और नर्सों का अधिक समय रोगियों के बीच बीतता है। इसके लिए उन्हें ज्यादा सावधान रहने की जरूरत है। वहीं इंडियन मेडिकल एसोसिएशन का अनुमान है कि कोरोना वायरस ने भारत में 200 से अधिक डॉक्टरों की जान ले ली है। वहीं एसोसिएशन का मानना है कि रोगियों के बीच काम कर रहे हेल्थ केयर की हानि या तो बीमारी से हुई है या अधिक समय रोगियों के बीच बीताने से उनकी मृत्यु हुई है।
स्वास्थ्य कर्मचारियों की हो रही मृत्यु रोकने के लिए उन्हें हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन की सुविधा की जा रही है। इसके बारे में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन का समर्थन किया था लेकिन बाद में उन्होंने अपना रुख बदलते हुए बताया कि इसका कोई लाभ नहीं है। इसके अलावा विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा कि कोरोना के संपर्क में आने वाले रोगियों के लिए निर्णायक शोध की आवश्यकता है।
अब हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन के प्रभाव के आकलन के लिए जॉर्ज इंस्टीट्यूट फॉर ग्लोबल हेल्थ इंडिया ने परीक्षण शुरू किया है। इसके तहत ज्ञात या संदिग्ध कोरोना वायरस रोग वाले रोगियों की देखभाल करने वाले स्वास्थ्य कर्मचारियो के जोखिमों को कम करने में ये परीक्षण काम करेगा।
क्रिटिकल केयर में सलाहकार डॉ भरत कुमार, अपोलो हॉस्पिटल्स चेन्नई और ग्लोबल इंस्टीट्यूट फॉर ग्लोबल हेल्थ इंडिया में मानद फेलो के अनुसार, इस अध्ययन में 7000 स्वास्थ्य देखभाल कर्मचारियों की जांच किए जाने की योजना है। ।
भारत में तीन केंद्रों- अपोलो हॉस्पिटल्स, चेन्नई, क्रिश्चियन हॉस्पिटल, ओडिशा, और अपोलो इंद्रप्रस्थ, दिल्ली में इस अध्ययन से संंबंधित नामांंकन जारी हैं और अधिक केंद्र जोड़े जा रहे हैं। भारत में 25 से 30 अस्पतालों में अध्ययन का विस्तार करने के उद्देश्य से ये काम किए जा रहे हैं।
इस अध्ययन को जॉर्ज इंस्टीट्यूट ऑफ ग्लोबल हेल्थ इंडिया की संस्थागत नैतिकता समिति और अन्य भाग लेने वाले अस्पतालों से नैतिक समितियों द्वारा अनुमोदित किया गया है।
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